परमात्मा परिष्कृत पुण्यात्माओं को अपने उत्कृष्ट कर्मों के आधार पर राजपूत जाति मे अवतरण करते हैं | इस धरा पर राजपूत जाति ही सबसे श्रेष्ठ जाति है।
सर्वोच्च आदर्श, संस्कार, शौर्य,बलिदान, त्याग, तपस्या, शील, सदाचरण, अनुशासन इसकी श्रेष्ठता को प्रमाणित करते हैं इसीलिए देवता भी इस पावन जाति में जन्म लेने हेतु लालायित रहते हैं । इतिहास अपने आप को दोहराता है, इसलिए पिछले कुछ समय से पूरे देश मे राजपूत समाज में जागृति की भावना बलवती हो रही है । राजपूत अपने मूल स्वरूप तथा स्वर्णिम इतिहास तो अंगीकार करने हेतु छटपटा रहे हैं । राजपूतों की शिराओं मे लहू उबाल खा रहा है तथा मन मष्तिष्क व ह्रदय में एकता व समरसता की भावना सृजित हुई है ।
हमे एक होना पड़ेगा – अपने आन – बान- शान की रक्षा के लिए, अपनी अस्मिता की सुरक्षा के लिए, अपने सम्मान की रक्षा के लिए, अपने महान गौरवमयी इतिहास की रक्षा के लिए………
समाज अपनी उत्कृष्टता की ओर तेजी से कदम बढा रहा है । अब वह दिन दूर नही जब देश में राजपूत समाज का दबदबा पुनर्स्थापित होने वाला है। विश्वास कीजिए – कल हमारा है।
आयें हम एक बार फिर से अपने मूल संस्कारों को आत्मसात कर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हुए अपनी मर्यादा को पुनर्स्थापित करें और पूरे विश्व समुदाय के संज्ञान में ला दें कि राजपूत जाति संसार में श्रेष्ठ थी, श्रेष्ठ है और श्रेष्ठ रहेगी ।